Tariff Meaning in Hindi: अगर आसान भाषा मे कहा जाये तो यह एक प्रकार का कर होता है जो सरकार आयात-निर्यात पर लगाती हैं। यह देश में आने-जाने वाली चींजों पर लगाया जाता हैं। इसके अलग प्रकार भी ही चलिये जानते हैं इसके बारे मे विस्तार से जानकारी।

टैरिफ क्या होता हैं?
टैरिफ इस शब्द का बहुत बड़ा महत्व अंतरराष्ट्रीय व्यापार और अर्थशास्त्री में होता हैं। यह एक प्रकार का कर हैं जो सरकार द्वारा आयात (एम्पोर्ट) और निर्यात (एक्स्पोर्ट) की जानेवाली वस्तुओं पर लगता हैं। यह देश की सीमाओं पर लागु होता हैं। इसके उद्देश्य अलग अलग हो सकते हैं। सरकार का राजस्व बचाना, घरेलू उद्योंगो को विदेशी प्रतिस्पर्धा से बचाना, व्यापार में संतुलन ऐसे अनेक कारण हो सकते है।
टैरिफ का अर्थ
टैरिफ शब्द की शुरवात अरबी भाषा के तारिफ से हुई हैं जिसका अर्थ होता है सूचना देना अथवा मूल्य निर्धारित करना। टैरिफ को सीमा शुल्क (कस्टम ड्यूटी) के तौर पर भी जाना जाता हैं। यह एक प्रकार का आर्थिक उपकरण है जिससे सरकारें अपने व्यापार और आर्थिक लक्ष्यों को प्राप्त करती हैं। अगर कोई दुसरे देश से कोई चींज अथवा वस्तु मंगाता है या खरिदता है तो उसपर एक निश्चित राशी या प्रतिशत के रुप में टैरिफ लगता हैं जिसे आयातक को चुकाना होता हैं। कुछ मामलों में यह निर्यात पर भी लगता हैं।
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टैरिफ के प्रकार
- ऐड वैलोरम टैरिफ (Ad Valorem Tariff)- यह प्रकार खासकर वस्तु के मुल्य पर लगाया जाता हैं। इसका निश्चित प्रतिशत निर्धारित होता हैं, जो आयातित वस्तु की किंमत पर डिपेंड होता हैं। उदाहरण से समझते हैं- समझें किसी देश ने इलेक्ट्रानिक्स पर 15% ऐड वैलोरम टैरिफ (Ad Valorem Tariff) लगाया है तो अगर एक स्मार्ट टिवी की किंमत ₹20,000 हैं तो आयातक को उसपर ₹3,000 अतिरिक्त टैरिफ के रुप मे भुगतान करना पड़ेगा। यह वस्तु की किंमतो के साथ बदलता रहता है इसलिये इसे काफी लचीला माना जाता हैं।
- विशिष्ट टैरिफ (Specific Tariff)- यह वस्तु की इकाई (जैसे मात्रा, वजन, संख्या, आयतन) पर निश्चित राशी के रुप में लगाया जाता हैं। समझें अगर किसी देश ने चीनी पर ₹50 प्रती किलो टैरिफ लगाया हैं तो 10 किलो चीनी आयात करने के लिये ₹500 का टैरिफ देना पड़ेगा। यह तरिका सरल है चाहे फिर उसकी किंमत कितनी भी हो। वस्तु की किंमतो के चढ़ उतार का असर इसपर बिल्कुल भी नहीं पड़ता।
- कंपाउंडिंग टैरिफ ( Compounding Tariff)- यह ऐड वैलोरम टैरिफ और विशिष्ट टैरिफ का मिश्रण होता हैं जो कुछ देश लगाते हैं।
टैरिफ लगाने का उद्देश्य
वैसे टैरिफ लगाने के पिछे अनेक कारण होते हैं, जैसे
- राजस्व संग्रह- जो भी विकसित देश है उनके लिये टैरिफ मतलब एक मुख्य आय का स्रोत भी होता होता हैं। अन्य कर प्रणालियों के अभाव में टैरिफ कर का उपयोग शिक्षा, संस्था और बेनियादी ढांचे के लिये किया जाता हैं।
- घरेलू उद्योग बचाना- बहुत बार टैरिफ का मुख्य उद्देश स्थानिक उद्योगो को सस्ते विदेशी उत्पादों से दुर रखना होता हैं। इससे घरेलू उद्योगों को बाजार में प्रतिस्पर्धा करने का मौका मिलता हैं और रोजगार के अवसर बढ़ते हैं। उदाहरण के तौर पर अगर विदेशी कपड़े सस्ते होते हैं तो उनपर टैरिफ लगाकर उन्हें महंगा किया जाता हैं जिससे स्थानिय उद्योग को फायदा मिलता हैं।
- व्यापार संतुलन- जब भी कोई देश जादा आयात करने लगता है और उसका निर्यात कम होने लगता हैं तो टैरिफ लगाकर आयात को कम किया जाता हैं। इससे देश का व्यापार घाटा (डेफिसिट) कम होता हैं।
- राजनैतिक कारण- कई बार यह देखा गया है की टैरिफ कार्ड का इस्तमाल अन्य देशों पर दबाव डालना या व्यापारिक विवाद सुलजाना भी होता हैं। जैसे आपने कई बार देखा होगा अमेरिका और चीन के बीच व्यापार युद्ध में टैरिफ का इस्तमाल बड़े पैमाने पर किया जाता हैं।
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टैरिफ का सकारात्मक प्रभाव
- आर्थिक स्वातंत्रता- देश की आयात पर निर्भरता कम होती हैं।
- नौकरियां बढ़ती हैं- घरेलु उद्योगों के विकास से नौकरियों में इजाफा होता हैं।
- घरेलु उद्योंग- स्थानिय उद्योगों को विदेशी प्रतिस्पर्धा से राहत मिलती हैं।
टैरिफ का नकारात्मक प्रभाव
- अकुशलता- संरक्षित उद्योग प्रतिस्पर्धा से दूर रहकर कम नवाचार करते हैं।
- प्रतिशोध की कार्रवाई- एक देश द्वारा टैरिफ लगाने पर दुसरा देश जवाबी टैरिफ लगा सकता हैं जिससे व्यापार युद्ध उत्पन्न हो सकता हैं।
- उपभोक्ताओं पर बोझ- आयात करनेवाली वस्तुओ किंमते बढ़ने से लोग अधिक पैसे खर्च करते हैं।
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भारत में टैरिफ
भारत में भी टैरिफ का पुराना इतिहास हैं। जब भारत देश आज़ाद हुआ तब अपने उद्योगों को बढ़ाने के लिये टैरिफ का सहारा लिया। साल 1991 में आर्थिक सुधारो के बाद टैरिफ कम हुआ लेकिन अंदाज भी देखे तो कृषी और विनिर्माण क्षेत्रो के संरक्षण के लिये टैरिफ का उपयोग होता हैं।
उदाहरण- भारत ने इलेक्ट्रानिक्स और ऑटोमोबाइल जैसे क्षेत्रो पर आयात टैरिफ लगाकर “मेक इन इंडिया” को प्रोत्साहित किया था।
निष्कर्ष
टैरिफ एक राजनैतिक और आर्थिक हथियार हैं। यह देश की अर्थव्यवस्था को मजबुत करने का काम करता हैं। इसके गलत इस्तमाल से कई बार व्यापार और उपभोक्ताओं के लिये नुकसान भी हो सकता हैं। टैरिफ नितिया बनाते समय संतुलन भी जरुरी हैं ताकी घरेलू हितों की रक्षा के साथ साथ वैश्विक व्यापार में भी हिस्सेदारी बनी रहे। भारत जैसे विकासशील देशों के लिये टैरिफ एक महत्वपूर्ण उपकरण हैं जिसके सही ढंग से इस्तामाल किये जाने पर आर्थिक प्रगति का रस्ता खोल सकता हैं।
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FAQ
प्रश्न: टैरिफ क्या होता हैं?
उत्तर- यह एक कर होता है जो सरकार द्वारा आयात अथवा निर्यात वस्तुओ पर लगाया जाता हैं।
प्रश्न: टैरिफ के कितने प्रकार होते हैं।
उत्तर- ऐड वैलोरम टैरिफ (Ad Valorem Tariff), विशिष्ट टैरिफ (Specific Tariff) और इन दोनों की मिश्रित यानी कंपोडिंग टैरिफ (Compounding Tariff) ऐसे मुख्यता तीन प्रकार माने जाते हैं।
प्रश्न: टैरिफ क्यु लगाया जाता हैं?
उत्तर- सरकारी राजस्व बढ़ाना, स्थानीय उद्योगों को बचाना, व्यापार संतुलन और राजनैतिक दबाव ऐसे अनेक कारण इसके पिछे हो सकते हैं।
प्रश्न: क्या टैरिफ से व्यापार युद्ध हो सकता हैं?
उत्तर- हां, अगर एक देश टैरिफ लगाया है तो दुसरा देश भी जवाबी टैरिफ लगाता है इससे व्यापार युद्ध शुरु हो सकता हैं जैसे अक्सर अमेरिका और चीन के बीच चलता हैं।
प्रश्न: क्या टैरिफ मुक्त व्यापार के खिलाफ हैं?
उत्तर- हां, हमेशा ही टैरिफ को मुक्त व्यापार के खिलाफ माना गया हैं, क्योंकी इससे आयात महंगा हो जाता हैं। इतना ही नहीं विश्व व्यापार संगठन (WTO) हमेशा ही टैरिफ कम करने की सलाह देता हैं।
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