म्यूचुअल फंड – ‘सही’ या सिर्फ एक मार्केटिंग जाल? सबसे कड़वा सच!
म्युचुअल फंड…? यह बोलते ही हममें से ज्यादातर लोग बोलेंगे …सही हैं! है ना कमाल।
Mutual fund Sahi Hai यह सेंटेंस हमारे दिमाग में छप चुका हैं।
अगर किसी म्युचुअल फंड मैनेजर ने उसके पुरे फंड को 50 कंपनी के शेयर्स में निवेश करा मतलब एक तरिके से 50 बिजनेसस में निवेश किया
क्या वो खरिदा हुआ प्राइस बिजनेस के व्हाल्यु के ऊपर खरिदा गया है या नीचे? क्या यह देखना महत्त्वपूर्ण नहीं हैं?
PE Ratio (Price to Earning Ratio) जिसके बेस पर हमे पता लगता है की वो बिजनेस ओवरव्हाल्युड हैं या अंडरव्हाल्युड हैं।
अगर कुछ ऐसा हुआ किसी कारण से हम इकोनॉमी फिर से वापिस से ग्रो नहीं कर पाये तो क्या होगा आपके म्युचुअल फंड का?
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