GOLD: निवेश का खजाना या पैसों का कब्रिस्तान? सच चौंकाने वाला है! सोने में पैसा लगाने से पहले ये पढ़ लें | Is Gold a Good Investment

Gold as an Investment: दोस्तों, आजकल हर कोई शेयर मार्केट, म्युचुअल फंड्स, क्रिप्टो जैसी चीजों में निवेश पर बातें करता दिखता है लेकिन आज भी ऐसे कई लोग हैं Gold में निवेश को सबसे सही और सुरक्षित तरिका मानते हैं। लेकिन क्या सच में आजके समय में Gold Investment सही होगी या इतने दुसरे ऑप्शन छोड़कर यह करना बेवकुफी होगी? तो इस आर्टिकल में हम आपको इसी के बारे में पुरी जानकारी देंगे जिसे पढ़कर आप फिर कभी नहीं पुछेंगे की Gold as an Investment कैसा ऑप्शन रहेगा। तो चलिये पुरी तरह डिकोड करते हैं इस विषय को।

Woman wearing gold

सोने का परिचय

भारत की संस्कृति में सोना केवल एक धातु नहीं है बल्की वह समृद्धि और सुरक्षा का प्रतिक हैं। लेकिन आज के भी दौर में सोने को एक अच्छे निवेश के माध्यम से देखा जाता हैं। कुछ लोग तो इसे “सुरक्षित सेवन” मानते हैं तो कुछ पूराने जमाने की बेवकुफी। लेकिन सवाल यह है की क्या आज के दौर में भी सोने जैसे धातु में निवेश करना क्या योग्य है? चलिये समझते है।

डाटा क्या कहता हैं?

अगर हम आजतक के Gold Rate Chart को देखें तो पता चलता है की पिछले 20 सालों में इसकी किंमत औसतन पकड़े तो 8-10% से बढ़ी हैं। 

उदाहरण- साल 2005 में सोने की किंमत ₹7,000 प्रती ग्रॅम थी। वहीं हम साल 2025 की बात करें तो फरवरी 2025 तक तो इसकी किंमत 65,000 प्रति 10 ग्रॅम तक पहुंच गई हैं।

देखा जाये तो यह वृद्धि मुद्रास्फीति से कहीं अधिक है दिखाई देता हैं। यह दर्शाता है की सोने कि की किंमतो ने ना सिर्फ अपना मुल्य बनाये रखा है बल्कि इसमें इजाफा भी किया हैं। लेकिन सवाल यह है की क्या यही ट्रेंड आनेवाले समय में वैसै ही बनाये रहेगा।

सोने में निवेश के प्रकार

सोने में भी कई तरह के अलग अलग निवेश के प्रकार हैं उसे हमें पहले समझना होगा।

  1. भौतिक सोना (Physical Gold)- सिक्के आभूषण, सिक्के, बार यह इस भौतिक सोने में गिना जाता हैं। यह भावनात्मक से जुड़ा हुआ होता है जिसे छु कर देखा जा सकता हैं। इसमें भंडारण की समस्या, चोरी का डर और अतिरिक्त मेकिंग चार्जेस जैसे नुकसान होते हैं।
  2. गोल्ड ईटीएफ ( Gold ETF)- यह शेयर बाजार में ट्रेंड होनेवाला फंड होता है जो सोने की किंमते बढ़ने के हिसाब से बढ़ता हैं। कम लागत, आसान बिक्री-खरेदी और भंडारण की जरुरत इसमें नहीं रहती। इसमें बाजार जोखिम और तकनिकी समझ अवश्य होनी चाहिये।
  3. सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (Sovereign Gold Bonds)- यह सरकार द्वारा जारी बांड होता हैं। इसमें सालाना 2.5 ब्याज और कर भी मिलता हैं। इसकी सबसे महत्त्वपूर्ण बात यह है की 8 साल तक इसका लाॅक इन अवधी होता हैं।
  4. डिजिटल सोना (Digital Gold)- आप इसे ऑनलाइन प्लॅटफाॅर्म के जरिये खरिद और बेच सकते हो। इसमें आप आसानी से छोटे राशी से भी निवेश कर सकते हैं। इसमें बीच मे प्लॅटफाॅर्म की विश्वसनीयता पर सवाल आता हें

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सोने में निवेश के फायदे

  1. मुद्रास्फीति से सुरक्षा: सोने को मुद्रास्फीति के खिलाफ एक सबसे मजबुत ढाल की तरह देखा जाता हैं। हमेशा देखा गया है की रुपयों की किंमत जब जब घटती है तब तब सोने की किस्मत बढ़ती हैं।
  2. वैश्विक मांग: सोने की मांग हमेशा से ही बनी रहती है चाहे वह उद्योग हो या निवेश।
  3. संकट में सहारा: आर्थिक संकट और युद्ध जैसी परिस्थिती मे भी सोना मुल्य को बनाये रखता हैं।
  4. तरलता: सोने का आसानी से नकदी में बदला जा सकता हैं।

सोने में निवेश के नुकसान

  1. कोई निष्क्रिय आय नहीं: शेयर और रियल एस्टेट की तरह सोना कोई किराया या डिविडेंड नहीं देता।
  2. उच्च लागत: यह मेकिंग चार्जेस और टैक्स को बढ़ा देता हैं।
  3. भंडारण और सुरक्षा: भौतिक सोने को सुरक्षित रखना चुनौतीपूर्ण हो सकता हैं।
  4. अल्पकालिक अस्थिरता: सोने की किंमते कभी घटती बढ़ती रहती हैं

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पिछले 10 साल का प्रदर्शन

साल 2015 को सोने की किंमत ₹26,000 प्रति 10 ग्रॅम थी। साल 2025 में यह ₹65,000 के भी पार पहुंच गया था। 

अगर इसका औसत सालाना रिटर्न देंगे तो वह 9-10% ही था। जो की इतना अच्छा भी नहीं और काफी बुरा भी नही ऐसा हम मान सकते हैं।

वैश्विक भाव और भारत में मांग

सोने की दरें डाॅलर की मजबुती, ब्याज दरें और भू-राजनीतिक तनाव से प्रभावित होती हैं। उदाहरण के तौर पर आपको पता ही होगा की कोविड-19 महामारी के समय सोने की किंमते आसमान छु रही थी।

भारत सोने का सबसे बड़ा दुसरा देश आयात करनेवाला देन हैं। हर साल देश में 800-900 टन सोने की खपत होती हैं, जिसमें 50% निवेश के लिये होता हैं।

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क्या सोने में निवेश बेवकुफी है?

यह पुरी तरह व्यक्तिगत वित्तीय लक्ष्यों पर अधारित है। अगर आप शाॅर्ट टर्म निवेश के लिये सोच रहे हैं तो Gold Investment आपके लिये बिल्कुल भी नहीं हैं क्योंकी यह शेयर मार्केट की तरफ तेजी से रिटर्न नहीं देता। 

लेकिन इसके विपरित अगर आप लंबे अवधी के लिये बिना कोई निवेश रिस्क के निवेश करना चाहते हैं तो Gold में Invest करना बेहतर विकल्प रहेगा।

पिछला डाटा बताता है की सोने में निवेश करना बेवकुफी नहीं बल्की सोचा समझा निर्णय भी हो सकता हैं लेकिन शर्त यह है की आप इसे पोर्टफोलियो का हिस्सा बनाये ना की पूरा आधार।

एक्स्पर्ट का क्या कहना है?

दुनिया के सबसे बड़े निवेशक वाॅरेन बफेट सोने में निवेश के बिल्कुल खिलाफ है क्योंकी उनका मानना है यह तरिका “उत्पादक” नहीं हैं। बहुत सारे विशेषज्ञ सुझाव देते हैं की सोने में निवेश करना है तो वह आपके कुल निवेश के 5-10% होना चाहिये ताकी जोखिम कम हो और आपके पोर्टफोलियो में विविधता बनी रहे। 

लेकिन देखा जाये तो भारत की संस्कृति और प्रासंगिकता इसे खास बनाती हैं।

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निष्कर्ष

सोने में निवेश करना सही या ग़लत यह आपकी ज़रुरत, जोखिम लेने की क्षमता और समय सीमा पर निर्भर करता हैं। पिछला डेटा साफ तौर पर दिखाता है की एक स्थिर और सुरक्षित विकल्प हैं, लेकिन इससे चामत्कारिक रिटर्न की अपेक्षा करना ग़लत होगा। इसे अपने पोर्टफोलियो को बैलेंस बनाये रखने के तौर पर आप इसमें निवेश कर सकते हैं। Gold as an Investment ना तो पूरी तरह बेवकुफी माना जा सकता है ना ही हर हाल में सही। अगर आप इसमें निवेश करते हैं तो वह सोच समझकर लिया गया फैसला होना चाहिये ना की बेवकुफी भरा कदम।

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FAQ

प्रश्न- क्या डिजिटल गोल्ड सुरक्षित होता हैं?

उत्तर: हां पर शर्त यह है कि आप उसे गुगल पे अथवा फोन पे जैसे गवर्नमेंट मान्यता प्राप्त कंपनी से ही खरिदे

प्रश्न- सोने में कितना निवेश करना सही रहेगा?

उत्तर: एक्स्पर्ट की मानें तो आपके पोर्टफोलियो के 5-10% हिस्सा ही आप सोने में इन्वेस्ट करें ताकी जोखिम और रिटर्न में संतुलन बनाये रखें।

प्रश्न- सोना खरिदते समय किन बातों का ध्यान रखें?

उत्तर: शुद्धता (22k से 24k कैरेट), हाॅलमार्क प्रमाण, मेकिंग चार्जेस और बाजार मूल्य की जांच करें। 

प्रश्न- सोने में निवेश करने का सबसे अच्छा तरिका कौनसा हैं?

उत्तर: सोने में निवेश के लिये साॅवरेन गोल्ड अथवा गोल्ड ईटीएफ को सबसे किफायती और सुरक्षित तरिका माना गया हैं। यह पुरी तरह आपकी जरुरत पर निर्भर करता है की आप भौतिक सोना चाहते हैं या डिजिटल।

प्रश्न- क्या सोने कि किंमते हमेशा बढ़ती रहती हैं?

उत्तर: नहीं, सोने की किंमते वैश्विक और स्थानीय कारणों से प्रभावित होती हैं। अगर देखा जाये तो यह लंबी अवधी में ज़्यादातर बढ़ती है लेकिन अल्पकालिक समय में इसमें उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता हैं।

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