Gold Investment: कुछ महिनों से सोने का भाव (Gold Rate) बहुत चर्चा का विषय बना हुआ है क्योंकी महज 12 महिनों में इसमें 47% की तेजी देखने को मिली हैं। लेकिन जादा खुश होने की जरुरत नहीं है क्योंकी व्हाल्यू रिसर्च (Value Research) की रिपोर्ट अहम चेतावनी देती हैं। क्योंकी सोने के भाव आजकल जैसे चल रहा है वैसे नही रहता। अगर आप सोने के भाव के पहले से अब तक के आंकड़े देखें तो यह लंबे अवधी तक शुन्य रिटर्न दे सकते हैं। इसी वजह से इसे ग्रोथ असेट नही बल्की रिस्क मैनेजमेंट टुल के रुप में देखने की सलाह देते हैं।

7-7 साल तक नहीं मिला मुनाफा
वैल्यू रिसर्च के रिपोर्ट अनुसार, अक्टूबर 1979 से लेकर मार्च 1980 के बीच सोने के भाव सीर्फ 6 महिने में ₹75-163 प्रति ग्रॅम पहुंची थी। लेकिन इसके बाद 7 साल तक सोने ने कोई ऊंचा स्तर नहीं छुआ। इसी तरह सालाना 1995-2000 के बीच सालाना औसतन मात्र 0.7 प्रतिशत ही रिटर्न दिया हैं। वहीं जनवरी 2012 से नवंबर 2018 तक, लगभग सात वर्षों तक किंमते दायरे में ही रही थी।
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सोना और स्टाॅक मार्केट अलग
एक्सपर्ट के अनुसार, सोना एक ऐसा एसेट है जो ना व्याज देता है ना डिविडेंड। इसके भाव महंगाई, करैंसी, भुराजनैतिक जोखिम जैसे कारण तय करती हैं। यही कारण है जब भी महंगाई बढ़ती है सोने की मांग और कीमतें दोनो बढ़ती हैं लेकिन इसके बाद लंबे समय तक ठहराव भी आता हैं।
5-10% ही हो सोने में निवेश
वैल्यू रिसर्च के मुताबिक निवेशकों अपने पोर्टफोलियो के 5-10% ही हिस्सा सोने में निवेश करना चाहिये वह भी डायवर्सिफाइड और सुरक्षा की नजर से। ग्रोथ के लिये शेयर मार्केट, म्युचुअल फंड और दुसरे अनेक प्रोडक्ट बेहतर विकल्प हो सकते हैं। फिजिकल गोल्ड की तुलना में ETF अथवा फंड ऑफ फंड्स को ज्यादा किफायती और सुविधाजनक माना गया हैं।
सोने के तेजी पर भरोसा मत करो
बीते एक साल से सोने में तेजी देखने को मिली हैं लेकिन एक्सपर्ट और रिपोर्ट की माने तो आगे आनेवाले दिनों में इसकी बिल्कुल भी गैंरंटी मत समझिये की सोना अच्छा रिटर्न दे सकता हैं। निवेशकों को संतुलित, डायवर्सिफाइड और अच्छे एनालायसिस के साथ ही सोने के निवेश को लेकर आगे बढ़ना चाहिये।
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