साल 2025 में वैसे पहले 6 महिने में बहुत अच्छा पर्फार्मेंस दिखाया हैं शेयर मार्केट ने पर फिर भी अगर देखें तो भारत के टाॅप 4 ब्रोकर्स को मिलाकर कुल 20 लाख डिमैट खाते बंद कर दिये गये हैं। इसका सीधा सीधा मतलब है की लोगों का शेयर मार्केट से भरोसा कम हुआ हैं। अपने कस्टमर्स खोनेवाली यह 4 कंपनीया है जेरोधा(Zerodha), ग्रो(Groww), अपस्टाॅक (Upstox) और एंजलवन(Angel One) जिन्होके कुल मिलाकर 6 लाख युजर्स गवा दिये हैं। अगर हम देखें जनवरी 2025 से ग्रो ने 6 लाख, जेरोधा ने 5.5 लाख, एंजनवन ने 4.5 लाख और अपस्टाॅक ने 3 लाख ग्राहक खो दिये हैं।
सबसे बड़ा कारण है यह
F&O ट्रेडिंग में लोगों की दिलचस्पी धीरे धीरे कम हो रही है ऐसा आंकड़े हम बताते हैं। SEBI द्वारा पिछले साल बहुत से सख्त नियम लगा दिये गये हैं इसी कारण से यह इन्वेस्टर्स और ट्रेडर्स को इस सेगमेंट में ट्रेड करने में तकलीफ़ हो रही हैं।

कड़ी मार्जिन रिक्वायरमेंट, विकली एक्सपायरी में कमी, कैपिटल लिमिट ज्यादा होना और टैक्सेशन बढ़ने से डेरिवेटिव ट्रेडिंग (पुट-काॅल) में लोगों की दिलचस्पी बहुत हद तक कम हो गई हैं।
प्राॅफिट निकलना हो गया है बहुत मुश्किल
Moneycontrol के एक्सिस सिक्युरिटीज राजेश पलविया के हवाला से बताया हैं की सेबी द्वारा लगाये गये यह कड़े नियम से और इसकी ज्यादा अवेयरनेस फैलाने से रिटेल निवेशक इससे थोड़ा दुरी बनाये हुये हैं। साल 2023 और 2024 में तेजी से Discount Brokering Platform टियर 2,3 और 4 सिटीज से बड़ी संख्या में युजर्स जुड़े थे। लेकिन अगर अब देखें तो मार्केट वोलाटिलिटी और मार्केट करेक्शन से आम निवेशकों का प्राॅफिट करके निकलना लगभग मुश्किल हो गया हैं। इसमे बहुत सारे तो बिना नाॅलेज के बड़ा नुकसान करके बैठ जाते हैं और फिर प्लेटफॉर्म छोड़ देते हैं या इस्तमाल बंद ही कर देते हैं।
निवेशक कहा जा रहे हैं?
एक्सपर्ट का कहना है की अब ज्यादातर लोग स्ट्रक्चर्ड प्रोफ़ेशनली मैनेज्ड निवेश ऑप्शन जैसे Mutual Fund, PMS (पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विसेज) और AIF (अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट फंड्स) की और जाते दिख रहे हैं। यह ऑप्शन्स रेगुलेटड, सेफ और कम रिस्की होते हैं। और अब नये युजर्स के लिये ऑनबोर्ड प्रोसेस बहुत ही मुश्किल बना दिया गया हैं जिससे डिस्काउंट ब्रोकर्स को नये ग्राहक लाने में मुश्किल का सामना करना पड़ रहा हैं।
आईपीओ पर पडेडा असर
बैंगलुरू बेस्ड कंपनी ग्रो ने अब सेबी के पास आईपीओ (Initial Public Offering) के लिये एप्लाय किया हैं। अब देखना होगा की निवेशकों के लाॅस का इसपर कितना और कैसे असर पड़ता हैं। हालाकी चारों ब्रोकर की तुलना करें तो यह 5 प्रतिशत गिरावट बहुत बड़ी नहीं मानी जा रही हैं।
डिमैट अकाउंट हो रहे हैं कम
अगर NSE के डाटा देखें तो साल 2024 में एक्टिव इन्वेस्टर्स बेस 44 प्रतिशत बढ़ा था जो की था 5.01 करोड़ रुपयों का। लेकिन साल 2025 में ब्रोकर को ज्यादा टैक्स, F&N Trading में कड़े Rules जैसे अन्य कारणों से मार्केट में यही नंबर सितंबर 2024 में कम होने लगा लेकिन इन्वेस्टर्स की संख्या नवंबर-दिसंबर में दिखना शुरु हुआ।
डिमैट खाता खोलने के आंकड़े भी धीमे हो गये हैं। FY26 के पहले तिमाही में 69.1 लाख अकांउट खुले थे वहीं पिछले साल यही कालावधी में यह आंकड़ा 69.3 लाख पर था जो की अब थोड़ा कम हो गया हैं। जून 2025 के अंत के अंत तक NSDL और CDSL के आंकड़ों के अनूसार टोटल डिमैट अकाउंट 19.91 करोड़ हो चुके हैं।
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