निवेशक गोल्ड बेचकर सिल्वर क्यों खरीद रहे हैं? वजह जानकर हैरान रह जाएंगे | Silver is the new Gold

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सिल्वर का इतिहास (Silver History)

Silver एक प्रेशियस मेटल है जैसे Gold हैं। पिछले हजारों सालों में यह करेंसी अथवा करेंसी ( Currency) इस्तमाल होती रही हैं। मतलब पहले यह कोई पहनने की या घर में रखने की चीज नहीं थी मतलब उसकी ट्रांजेक्शन होती थी, यानी पहले Money का मतलब होता था Silver और Gold। लेकिन जैसे जैसे पेपर मनी दुनिया में इस्तमाल होने लग गई उसने सोने और चांदी को रिप्लेस कर दिया करेंसी इस्तमाल में। 

सोने-चांदी का रेशो (Silver Gold Price Ratio)

इसमें एक ध्यान देनेवाली चींज है की हिस्टोरिकल हम देखें तो सोने और चांदी के बीच का रेशों था वह 10:20 था यानी यानी की आप सोने को रिप्लेस करे चांदी से तो 1 ग्राम सोने के किंमत में आपको 10 से 20 ग्राम चांदी मिला करती थी। लेकिन जब पैपर करेंसी दुनिया जादा इस्तमाल होने लगी और सोने चांदी का इस्तमाल करेंसी के तौर पर कम होता गया तब यही गोल्ड और रेशो बढकर 50 लेकर 60 प्रतिशत तक बढ गया और आज के समय की बात करे यांनी नोव्हेंबर 2025 तो यह रेशो बढकर 80% तक बढ गया हैं। यांनी आप 1 ग्राम सोने के सिक्के को रिप्लेस कर सकते हो 80 ग्राम चांदी के सिक्को में। लेकिन यहाँ एक महत्त्वपुर्ण बात यह है की Gold Silver Price का रेशो है वह 80 टाईम्स पर डिमांड और सप्लाय की बात करे तो यह है बस 10 टाईम्स। यांनी दुनिया में जो सोना है वह 10 गुना जादा हैं पर प्राइज 80 गुना जादा हैं। 

करेंसी की किंमत घट रही हैं ( Currency Value Drop)

सोना और चांदी रेशो इतना बडा फर्क कैसे? इतके दो कारण हो सकते हैं या तो गोल्ड ओवरव्हाल्युड हैं नहीं तो सिल्वर की डिमांड कम हैं। लेकिन अगर आप स्टडी के मुताबिक देखो तो यह दोनो भी कारण नहीं हैं। गोल्ड ओवर व्हाल्युड नहीं है क्योंकी गोल्ड की व्हाल्यु नहीं बदलती हैं, जो करेंसीज है उनकी व्हाल्यु बदलती हैं इसका कारण है महागाई। महंगाई की वजस से करेंसी की व्हाल्यु घटती हैं इसी लिये गोल्ड की व्हाल्यु बढती हैं, क्योंकी ऐसा लगता है की गोल्ड की व्हाल्यु बढ यही हैं लेकिन वो करेसी की व्हाल्यु घट रही है। 

सिल्वर की मांग (Silver Demand)

अब गोल्ड की किंमत बढ रही है तो सिल्वर की डिमांड कम हो रही होगी लेकिन असल मे यह भी सच नहीं हैं बल्की सिल्वर कई सालो से Structural deficiency में हैं। इसलिये पिछले कुछ सालो में सिल्वर को डिमांड है वो बहुत तेजी से बढी हैं लेकिन सप्लाई उतनी बढी नहीं हैं। 

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चांदी का महत्व (Importance of Silver)

तो पिछले कुछ सालो में ऐसा क्या हो गया जो पिछले 100 सालो में नहीं हुआ। इतका कारण है Silver अब Gold की तरह सिर्फ प्रेशियस मेटल नहीं हैं बल्की एक इंडस्ट्रीयल मेटल बन चुका हैं। पुरी दुनिया में जो सिल्वर मेटल की मायनिंग होती है और जो सिल्वर रिसायकल होकर मार्केट में आता है उन दोनो के आऊटपुट को भी मिला दो तब भी इंडस्ट्रीयल सिल्वर मेटल डिमांड 67% है पुरे आऊटपुट को पकडकर भी। यह जो इंडस्ट्रीयल डिमांड है वह पिछले कुछ सालो से कम नही हो रही है बल्की बढती जा रही हैं। इसके पीछे कारण है सिल्वर की एक्सेप्शन इलेक्ट्रिकल और थर्मल कंडिशनिंग जो अन्य कोई मेटल में जादातर नहीं देखने मिलती। 

सिल्वर का इस्तमाल (Silver Use)

तो सिल्वर का इस्तमाल जितना हमे लगता है वहा तक सिमित नहीं हैं मतलब चांदी की मुर्ती, चांदी के बर्तन, चांदी के सिक्के और चांदी के गहने। सिल्वर को हम अपनी अलग अलग चींजो में इस्तमाल कर रहे है और हमे पता तक नहीं हैं। यानी अगर आप इलेक्ट्रिक वेहिकल चलाते है तो उसमे भी 25 से 50 ग्राम तक चांदी इस्तमाल की जाती हैं। आपके घर और आसपास में जो सोलर पैनल है उसमे भी सिल्वर इस्तमाल हो रहा हैं। ऐसे और भी कई चींजे है जिसमे सिल्वर का इस्तमाल होता हैं और हमको पता भी नहीं हैं। 

अभी के समय जो दुनिया में जो हवा चल रही है आर्टिफिशियल इंटेलिजन्स (AI) की उसके जो डेटा सेंटर्स है वहा भी सिल्वर का बहुत जादा इस्तमाल होता हैं। 

यह तो कुछ उदाहरण है जहाँ पर सिल्वर को इस्तमाल कर रहे है उसके अलावा और भी कई इंडस्ट्रीज है जहाँ पर सिल्वर को रिप्लेस करना इम्पॉसिबल हैं। 

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निश्कर्ष (Final Words)

तो सवाल उठता है जब सिल्वर की डिमांड इतनी तेजी से बढी रही है तो क्या इसके सप्लाई को भी बढाया जा सकता है? इतका जवाब है नहीं क्योंकी सिल्वर की मायनिंग में और गोल्ड की मायनिंग में बहुत बडा फर्क हैं। जादातर सिल्वर बाय प्रोडक्ट के तौर पर मिलता हैं। इसका मतलब मायनिंग होती है जिंक और काॅपर की और उसके साथ में एक्सट्रैक्ट किया जाता हैं। इसके अलावा जो इलेक्ट्रानिक्स में सिल्वर इस्तमाल हुआ है उसमे से जादातर दोबारा रिकवर करना बहुत मुश्किल हैं क्योंकी वह पेस्ट के फाॅर्म में इस्तमाल होती है और उसे उससे अलग करना मुश्किल हैं। इसी वजह से सिल्वर के किंमत में तेजी देखने को मिल रही हैं। यह सिर्फ लोकल नहीं बल्की गोल्बल फिनोमिना हैं चाहें वह इंडस्ट्रीयल डिमांड हो या इनवेस्टमेंट डिमांड दोनो ही बढ रही हैं खासकर के ETF जिसके बारे में अपने सुना होगा। आने वाले टाईम में सिल्वर के प्राइस ऊपर जायेंगे या नीचे जायेंगे यह प्रेडिक्ट करना नेक्स्ट टु इम्पॉसिबल हैं। 

हम जानकरी सिर्फ एज्युकेशन प्रपोज के लिये हम बता रहे है इसमे कोई भी इनवेस्टमेंट एडवाईस हम नहीं दे रहे।

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FAQ

प्रश्न: कौन कौनसे सिल्वर से जुडे इटिएफ हैं?

उत्तर- निपोन इंडिया इटिएफ, आईसीआसीआई प्रुडेंशियल सिल्वर ईटिएफ, एचडिएफसी सिल्वर ईटिएफ, आदित्य बिर्ला सन लाईफ सिल्वर ईटिएफ आदी।

प्रश्न: क्या चांदी की सप्लाई बढ सकती हैं?

उत्तर- नहीं, चांदी की सप्लाई नही बढ सकती।

प्रश्न: चांदी का उपयोग कहा कहा होता हैं?

उत्तर- चांदी का उपयोग इलेक्ट्रानिक्स, आभुषन, सोलर पॅनल, AI Data Center जैसे अनेक इंडस्ट्रीज में किया जाता हैं।

प्रश्न: सोना और चांदी- किसमे बेहतर निवेश माना जायेगा?

उत्तर- स्थिर और कम उतार चढाव चाहिये तो सोने में निवेश बेहतर और अगर जादा वोलाटाइल और लंबे अवधी के लिये सिल्वर में निवेश आज के समय सही रहेगा।

प्रश्न: हम चांदी आसानी से कैसे खरिद सकते हैं?

उत्तर- हम शेयर मार्केट से इटिएफ यांनी Exchange Traded Fund के माध्यम से आसानी से Digital Silver Investment कर सकते हैं।

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