ETF Investment in Hindi: ईटीएफ आसान भाषा में मतलब होता है ‘एक्सचेंज ट्रेडेड फंड’। इसको को शेयर जैसे खरिद और बेच सकते हो। यह एक टोकरी की तरह होती है जिसमें आप कम राशी में बहुत सारे शेयर में निवेश कर सकते हैं। इसमें निवेशक अलग अलग एसेट जैसे स्टॉक्स, बॉन्ड्स, कमोडिटीज़ आदी में निवेश एकसाथ निवेश कर सकता हैं। शेयर की तुलना यह काफी कम रिस्क निवेश होता हैं।
ETF क्या होता हैं?
ETF (Exchange Traded Fund) एक प्रकार का साधन होता है जो बाकी शेयरों जैसा ट्रेडिंग करता हैं आप इसे खरिद और बेच भी सकते हैं। इसकी बहुत सारी विशेषताएं हैं चलिये देखते हैं यह अन्य शेयरों की तुलना में कैसे अलग हैं।
- इसमें आप एकसाथ बाॅन्ड्स, गोल्ड, स्टाॅक्स, कमोडिटीज जैसे डायवर्सिफाइड एसेट में एक साथ निवेश हो जाता हैं।
- शेयर कभी भी आप बेच और खरिद सकते हैं लेकिन म्युचुअल फंड आखरी दिन के NAV किंमत पर बिकते हैं।
- म्युचुअल फंड की तुलना में इसका एक्सपेंस रेशों काफी कम होता हैं।
- ETF में मौजुद एसेट्स नियमित रुप से आप देख सकते है।
- अधिकांश ईटीएफ किसी इंडेक्स को फोलो कर रहे होते है इसलिये इसमें मार्केट के अनुरूप रिटर्न मिलता हैं।
ईटीएफ के प्रकार
- इक्विटी ETF- स्टाॅक्स में निवेश करते हैं।
- गोल्ड ETF- सोने में निवेश करते हैं।
- बांन्ड ETF- सरकारी और काॅर्पोरेट बांन्ड में निवेश करते हैं।
- कमोडिटी ETF- अन्य कमोडिटी जैसे तेल, सिल्वर आदी में निवेश करते हैं।
- इंटरनैशनल ETF- विदेशी बाजार निवेश करनेवाले ईटीएफ
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क्या ईटीएफ सुरक्षित है?
यह निवेश का सबसे सुरक्षित तरिका माना जाता हैं लेकिन इसमे भी थोड़ा बहुत रिस्क तो रहता हैं। यह निर्भर करता है ईटीएफ किस प्रकार का हैं मतलब कौनसे संपत्ति में निवेश करता हैं। इसमें कुछ बिंदु है जैसे विविधता, तरलता, शुल्क, बाजार जोखिम, विशिष्ट जोखिम इत्यादि।
ईटीएफ में निवेश कैसे करें
इसे स्टाॅक की तरह ही खरिदना और बेचना होता हैं। आप नीचे दिये स्टेप को अगर फोलो करते हो तो आप आसानी से ईटीएफ में निवेश कर सकते हो।
- ईटिएफ के अलग अलग प्रकार होते हैं जैसे Gold ETF, Nifty Index ETF, Commodity ETF आदी, उसे पहले समझ लें।
- अगर आपका डिमैट और ट्रेडिंग खाता नहीं हैं तो इसकी जरुरत आपको पड़ेगी वह किसी भी एक ब्रोकरेज द्वारा आप निकाल सकते हो।
- लंबे अवधी के लिये अच्छे ईटीएफ चुने।
- इसे आप शेयर बाजार के खुले होने पर कभी भी खरिद और बेच सकते हैं।
- अब इसे ट्रेंक करते रहे और अगर आपको प्रोफिट बुक करना हैं तो आप इसे बेच सकते हो।
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ईटीएफ क्या कभी शुन्य हो सकता हैं?
हां यह शुन्य हो सकता है लेकिन ऐसी स्थिती दुर्लभ हैं। कुछ विशेष परिस्थितियों में ही ऐसा कुछ होने की संभावना हैं। अगर ईटीएफ के अंतर्निहित संपत्तिया शुन्य होंगी तब ही आपका ईटीएफ शून्य हो सकता हैं।
ईटीएफ और म्युचुअल फंड में क्या अंतर होता हैं?
ईटीएफ | म्युचुअल फंड |
शेयर की तरह स्टाॅक एक्सचेंज में खरिदा और बेचा जा सकता हैं। | AMC से NAV के आधार पर खरिदा और बेचा जा सकता हैं। |
मार्केट के हिसाब से किंमतो में उतार चढाव आता है। | दिन में एक बार NAV के आधार पर किंमत तय होती हैं। |
केवल Lumsum निवेश कर सकते हैं। | इसमें आप Lumsum के साथ SIP भी कर सकते हैं। |
इसका एक्सपेंस रेशों कम होता हैं। | इसका एक्सपेंस रेशों थोड़ा ज्यादा होता हैं। |
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कितने ईटिएफ लिस्टेड हैं?
भारतीय एक्सचेंजेस में इनकी संख्या बढ़ती रहती हैं लेकिन सितंबर 2021 तक National Stock Exchange पर लगभग 150 से अधिक ईटीएफ की लिस्टिंग दर्ज की गई हैं। अगर आपको इसका अपडेटेड आंकड़ा जानना है तो आप NSE की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर चेक कर सकते हैं।
ईटीएफ के फायदे
- कम खर्च- इसका Expense Ratio काफी कम होता हैं।
- लाईव ट्रेडिंग- इसमें आप रियल टाइम ट्रेड कर सकते हैं। आपको जब मर्जी आये ईटिएफ को खरिद और बेच सकते हैं। जिसकी Mutual Fund में एकही बार NAV ट्रेड होता हैं।
- डायवर्सिफाइड- इसमें आपका पैसा एकसाथ स्टाॅक, बांन्डस और कमोडिटी में लगता हैं जिससे रिस्क कम रहता हैं।
- लिक्विडिटी- इसमें तुरंत इसे खरिदा और बेचा जा सकता हैं इसलिये इसमें आपका कैश निकालना आसान रहता हैं।
- पारर्दशिता- इसमें कि जानेवाले ट्रेडिंग का डाटा आपके सामने दिखता है और अपडेट होता हैं।
- कम रिस्क- शेयर की कंपनी डुब सकती है या शेयर डिलिस्ट हो सकता है या सेक्टर में कुछ बड़ा बदलाव अचानक से आने से आपको नुकसान होता हैं लेकिन इसमे आपको बहुत कम रिस्क होता है क्योंकी यह ईटीएफ जादातर किसी न किसी इंडेक्स को फोलो करते होते हैं।
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ईटीएफ के नुकसान
- कम तरलता- डेब्थ फंड पर आधारित ज्यादातर व्हाल्युम कम होता हैं।
- बाजार जोखिम- बाजार में आई उतार चढ़ाव का इसपर सीधा असर होता है यह काफी संवेदनशील होता हैं। जिसमें निवेशकों को नुकसान हो जाता हैं।
- डिविडेंड टैक्स- कुछ ईटीएफ के डिविडेंड पर आपको टैक्स राशी अधिक लग सकती हैं।
- प्रबंधन शुल्क- म्युचुअल फंड की तुलना में यह। शुल्क काफी कम होता है लेकिन आपको यह शुल्क देना पड सकता हैं।
- ट्रेडिंग लागत- अगर आप बार बार खरिद बेचकर इसमें ट्रेडिंग करते हैं तो आपको ब्रोकरेज और अतिरिक्त शुल्क देना पड सकता हैं।
- प्रिमियम/ डिस्काउंट- बहुत बार ईटीएफ के बाजार मुल्य उसके NAV Value से काफी जादा होती है तो इसमें आपको थोड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता हैं।
आपको यह आर्टिकल ETF Investment in Hindi कैसा लगा यह हमें जरुर बताईये।
FAQ
प्रश्न: ETF में निवेश के लिये कितनी पुंजी आवश्यक होती है?
उत्तर: वैसे कोई भी लिमिट आपको ईटीएफ खरिदने के लिये नहीं लगती। बहुत सारे ईटीएफ की एक क्वांटिटी आपको मात्र ₹10 में भी उपलब्ध हो जाती हैं।
प्रश्न: सबसे अच्छा ETF कौन सा है?
उत्तर: यह आपके निवेश लक्ष्यों, जोखिम प्रोफ़ाइल और निवेश अवधि पर निर्भर करता हैं।
प्रश्न: ETF NAV क्या होता है?
उत्तर: NAV का लाॅग फाॅर्म होता है Net Asset Value जो की एक ETF के प्रति शेयर का मुल्य होता हैं।
प्रश्न: क्या ईटीएफ में डिविडेंड मिलता हैं?
उत्तर: हां बहुत बार ऐसा होता है की ईटीएफ डिविडेंड देती है लेकिन यह ETF के प्रकार और उसके अंतर्निहित निवेशों पर निर्भर करता हैं।
प्रश्न: ETF Investment के लिये क्या आवश्यकता होती हैं?
उत्तर: इसके लिये आपको किसी भी ब्रोकर के यहां डिमैट खाता और ट्रेडिंग खाता चाहिये जो आप किसी भी ब्रोकर अथवा बैंक से खुलवा सकते हो।
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