SIP में ये गलती कर रहे हैं 99% भारतीय लोग, Mutual Fund एसआईपी है बेवकुफी, यह सच कोई नहीं बताता! | How to do SIP in Market Crash?- Smart SIP

Smart SIP: आपको पता ही होगा शेयर मार्केट में गिरावट जारी हैं। बहुत सारे Stocks लगातार गिर रहे हैं, Small Cap और Mid Cap में तो काफी गिरावट दर्ज हुई हैं। ज्यादातर लोगों के पोर्टफोलियो लाल रंग में दिख रहै वैसे में SIP Stoppage Ratio भी बहुत तेजी से बढ़ा हैं। लोग SIP शुरु करने से ज्यादा उसको बंद करने लगे हैं। लेकिन बहुत लोग SIP को ग़लत तरिके से करते हैं और उनको उसका नुकसान उठाना पड़ता हैं। तो इसलिये आज में आपको SIP करने का ऐसा तरिका बताने जा रहा हु जो स्टाॅक मार्केट बुरी तरह गिरने से भी आपको ज्यादा नुकसान से बचायेगा। चलिये जानते हैं SIP करने का सही तरिका।

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Large Cap Mutual Fund सेफ हैं?

हम अक्सर Large Cap Mutual Funds में पैसे लगाते हैं क्योंकी वो जादा सुरक्षित माने जाते हैं और अच्छा रिटर्न भी देते हैं और निफ्टी जैसी तेजी से यह बढ़ेगा लेकिन इसमें आप एक बड़ी चींज इग्नोर कर देते हो वो हैं Expense Ratio। अगर आप अवरेज पकड़े तो यह 1% के आसपास हैं। 

उदाहरण के तौर पर समझें की अगर आप 1 लाख Mutual Fund में निवेश कर रहे हो तो उसमें से 1% यानी एक हजार रुपये आप उस फंड मैनेजर को ही दे रहे हो। सुनने में आपको एक हजार कम लग रहा है लेकिन आपकी राशी बढी हो जाती है और साल दर साल आप यह राशी देखते हो तो वह बहुत बडी हो जाती हैं।

यह भी पढ़ें: म्युचुअल फंड सही हैं?

Index Fund Expense Ratio कम

अगर आप Large Cap की तुलना Nifty 50 या किसी दुसरे इंडेक्स से करते हो तो इंडेक्स फंड का एक्सपेंस रेशों Large Cap की तुलना में काफी कम होता हैं और ज्यादातर Large Cap Funds इंडेक्स Mutual Funds Return को भी बीट नहीं कर पाते। तो अगर आपको लंबे अवधी के लिये निवेश करना है तो लार्ज कैप से अच्छा होता है इंडेक्स फंड।

Index Fund में निवेश

अब अगर आपने डिसाइड कर लिया है की आपको Index Funds में निवेश करना है तो आप निवेश शुरु कर सकते हो लेकिन अगर आपको एक साल के भीतर ही आपको उन पैसों की जरुरत पड़ जाये जो की अक्सर हमें पता है की भारत में मिडल क्लास फैमिली पर अक्सर ऐसी सिचुएशन आती ही हैं। तो अगर हम ऐसा करते हैं तो जो भी एक्युमलेशन हुआ होता है उसे हम बेच देते हैं, लेकिन उस वक्त आप भुल जाते हो की जब भी आप उसे बेचोगे तो आपको उसके ऊपर Short Term Capital Gain Tax लगेगा जो की आज के समय में है 20% और ऊपर से Exit Load लगेगा।

Exit Load क्या होता हैं?

एक्जिट लोड एक प्रकार की पेनल्टी होती है जो की आपको जनरली एक साल के भीतर पैसे निकालने (वीथड्रावल) पर लगते हैं।

उदाहरण के तौर पर अगर निवेश किये हुये 5 लाख रुपये निकालते हो तो उसपर लगभग 5,000 तक आपको एक्जिट लोड देना होगा।

भारत में ज्यादातर लोग अभी ऐसी ही गलती कर रहे हैं। लंबे अवधी के लिये एसआईपी शुरु करते हैं और जब कोई बड़ी मार्केट गिरावट आती है अथवा कोई आपत्ती आती है तो बिना कोई सोचे हम एक्जिट लोड और STCG जैसे अतिरिक्त राशी देते हैं और खुदका नुकसान करा लेते हैं।

तो कैसे करें SIP ?

अगर आपको ‘Index Fund Investment’ ही करनी है तो आप फिर ETF के जरिये भी कर सकते हैं और ‘ETF’ ज्यादातर होते ही हैं ‘Index Funds’ के। अगर आपको ETF क्या होता हैं? यह जानना है तो हमारा आर्टिकल पढ़ सकते हैं।

उदाहरण के तौर पर Nifty 50 का इंडेक्स फंड है Niftybees, बैंक निफ्टी का हैं ‘Bank Bees’ इसी तरह अगर मिडकैप का ईटीएफ है, स्माॅलकैप का ‘HDFC SML 250’ मिल जायेगा। 

भारत के बाहर निवेश करना है तो आपको मोतीलाल ओसवाल ‘Nasdaq’ का ‘MOFN100’ मिल जायेगा। अगर आपको चाइना हाॅगकाॅग में निवेश करना है तो ‘Hang Seng ETF’ हैं। चाइना के आयटी में निवेश करना है तो ‘Hang Seng Tech ETF’ मिल जायेगा और मोमेनटम वाली कंपनियों में निवेश करना है तो ‘Momentum 30’ मिल जाता हैं। खास बात यह है की ETF में Exit Load नही होता और ‘Expense Ratio’ म्यूचुअल फंड की तुलना में काफी कम होता हैं।

तो अगर आपको ‘SIP’ ही करनी है तो ‘ETF’ में करो ना म्युचुअल फंड में क्यु कर रहे हो? 

ETF में क्या फर्क होता हैं?

ईटीएफ भी म्युचुअल फंड जैसे ही काम करता हैं और खास बात यह है की इसे आप लाईव मार्केट में ट्रेंड कर सकते हो। इसमें आपको मन चाहा प्राइस डालकर लिमिट ऑर्डर लगाकर खरिद सकते हो। अगर आपको लग रहा है ETF Price गिरा हुआ है तो आप अभी खरिद सकते हो। इसका उल्टा म्युचुअल फंड में आपको क्लोज़िंग एनएवी (NAV) मिलती है जो आपके मन से नहीं ले सकते। तो इसिलिये आप ईटीएफ में एसआईपी कर सकते हो। 

यह बात ज्यादातर लोग आपको बताते ही नहीं हैं क्योंकी ज्यादातर लोग अभी ईटीएफ (Exchange Traded Fund) जानते ही नहीं हैं। यह भारत के अंदर एक नया तरिका हैं लेकिन अमेरिका के अंदर हर चीज का ईटिएफ है यहां तक की Bitcoin ETF भी मौजुद हैं। अभी Solana और Ethereum ETF भी वहि लाॅन्च हो गया हैं।

विशेषताMutual Fund SIPETF SIP
खर्चअधिककम
व्यापारNAV (अंत)रियल टाइम
निवेशकम (SIP)डिमैट (अलग अलग)
प्रबंधनसक्रिय/निष्क्रियनिष्क्रिय (सूचकांक)

गिरती हुई मार्केट में एसआईपी

ईटीएफ है एक प्रकार का म्युचुअल फंड और यहां आपको कोई एक्जिट लोड नहीं है और एक्सपेंस रेशों भी बहुत कम हैं। यह आपके लिये सबसे जादा सुरक्षित हैं और इसमें आपको बहुत सारे स्टाॅक्स एकसाथ ही निवेश के लिये मिल जाते हैं।

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यह गलती मत करना

अब आपने डिसाइड कर लिया है की आपको एसआईपी करना है तो अब आप एक ग़लती मत करें जो आपने पहले की हुई होगी या करने जा रहे होंगे। आपको ईटीएफ में भी डायवर्सिफाइड इन्वेस्टमेंट करना हैं मतलब साल निवेश एकही प्रकार के इंडेक्स में नहीं डालना हैं। 

आपको Smallcap, Midcap, Index fund के अलावा USA Nasdaq, China Hongkong में भी निवेश करना है साथ में आप GoldBees, Silverbees जैसे एसेट में भी अपना निवेश करें। इससे क्या होगा कितनी भी बड़ी मार्केट क्रेश हो या कुछ हो जाये आपको कम से कम नुकसान होगा। 

अभी स्टाॅक मार्केट में गिरावट आ रही हैं लेकिन दूसरी तरफ आप देखो गे सोना-चांदी तेजी से भाग रहे हैं। इसलिये अपने पोर्टफोलियो में डायवर्सिफाइड बनाये रखें और यह ETF में SIP के तरिके से बहुत आसान हैं।

यह भी पढ़ें: सोने (Gold) में निवेश

निष्कर्ष (Final Words)

अगर आप म्युचुअल फंड के बजह ETF Investment करते हो तो आपको डायवर्सिफाइड पोर्टफोलियो बनाने में मदत होगी, आपको एक्सिस लोड नही लगेगा ऊपर से आपको कम से कम एक्सपेंस रेशों देना पड़ेगा। हम नहीं कहते की म्युचुअल फंड में निवेश गलत है लेकिन अगर आप लंबे अवधी का नजरिया रखते हो तो ही म्युचुअल फंड की तरह जाओ नहीं तो ‘ईटीएफ सही है’।

और ETF Diversification से अलग अलग मार्केट में बदलाव से रिस्क भी कम रहता है और आपको रिटर्न्स भी अच्छे मिलते हैं। 

आप इंडियन के साथ साथ US Market, China Market और Silver-Gold में भी निवेश कर सकते हैं। अगर आपको लग रहा है Defence Sector भाग आनेवाले दिनों में भाग सकता है या Bank Nifty ने पीछले कुछ सालों से अच्छा पर्फोर्मेंस नहीं किया है तो आपको उसके भी ईटीएफ मिल जायेगें। इसमें एक Stock गिर सकता है लेकिन पुरा सेक्टर बरबाद हो जायेगा इसके चांन्सेस कम होते हैं। डायवर्सिफिकेशन आपके लाॅस को बढा नहीं होने देता। तो इसलिये एक ही बात ध्यान मे रखे ‘ETF सही हैं’।

अब आप कहां निवेश करोंगे? हमें जरुर बताईये और अगर आपको यह Smart SIP वाले आर्टिकल मे थोड़ी भी जानकारी काम की लगी हो तो इसे अपने मित्रो और परिवार के साथ जरुर साझा किजीये।

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FAQ

प्रश्न: क्या मैं अपनी SIP को म्युचुअल फंड से ईटीएफ में शिफ्ट कर सकता हुं?

उत्तर- हां, बिल्कुल कर सकते हैं लेकिन आमतौर पर  आपको म्यून्युअली करना हो, आपको हर महिने आपको अपने ब्रोकर प्लेटफॉर्म की मदत से इसे सेट करना होगा।

प्रश्न: क्या ईटीएफ से एसआईपी करना म्युचुअल फंड से बेहतर हैं?

उत्तर- हां, इसमें आपको अतिरिक्त एक्जिट लोड नहीं लगता और एक्स्पेंस रेशों बहुत कम होता है और इसे आप आसानी से लाईव मार्केट में खरिद और बेच भी सकते हैं।

प्रश्न: ईटीएफ में एसआयपी करने के क्या क्या फायदे होते हैं?

उत्तर- कम एक्सपेंस रेशों, लाईव ट्रेडिंग, जादा ट्रांसपरेंसी इसमें देखने को मिल जाती हैं।

प्रश्न: क्या म्युचुअल फंड मे एसआईपी करते समय आपको कौन टैक्स देना पड़ता है?

उत्तर- हां, अगर आप एक साल के भीतर निवेश को निकालते हैं तो शाॅर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स और एक साल के बाद निकालते हैं तो लाॅग टर्म कैपिटल गेन देना होता हैं।

प्रश्न: ईटीएफ में एसआयपी के लिये क्या आवश्यक होता हैं?

उत्तर- आपको इसके लिये एक डिमैट अकाउंट की आवश्यकता होती हैं जिसमें आप ईटिएफ को खरिद और बेच सकते हो जो की आज के समय में आसानी से आप ऑनलाइन निकाल सकते हो।

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