जबसे कोविड आकर गया है तबसे लोगों में निवेश करनी की जागृकता बहुत बढ़ती हुई दिखी हैं। हर कोई अपने अच्छे भविष्य के लिये अथवा अपना ध्येय पुरा करने के लिये एक अच्छी जगह निवेश करना चाहता हैं और शेयर मार्केट की जानकारी नहीं होने के कारण या रिस्क कम रखने के कारण लोगो का झुकाव म्युचुअल फंड की तरफ ही जादा दिखता हैं। ऐसे में लोग Mutual Fund में SIP या SWP मे निवेश शुरु कर देते हैं लेकिन उनको कोई जानकारी नहीं होने के कारण कोई जो इंफ्लुएंसर या कोई एजेंट के कहने पर फंड का चुनाव करते हैं और खुदका नुकसान कर बैठते हैं।

लेकिन अब डरने की बात नहीं आप यह आर्टिकल पुरा पढ लेते हैं तो आप खुद एक अच्छे फंडका चुनाव कर सकते हैं, अब आपको किसी से एडवांस की जरुरत नहीं पड़ेगी। तो चलिये जानते हैं How to Select Perfect Mutual Fund।
म्युचुअल फंड का चुनाव करते समय इन बातों का जरुर ख्याल रखें।
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निवेश का उद्देश्य और जोख़िम
पहले अपना वित्तीय लक्ष क्या है यह समझ लें मतलब आप निवेश किस लिये कर रहे हैं जैसे कर खरिदा, बच्चों की शिक्षा, रिटायरमेंट इत्यादि। इसके बाद आपको कितने समय के लिये निवेश करना हैं यह आप निर्धारित करें।
आप कितने तक जोखिम ले सकते हैं क्योंकी कुछ फंड अधिक जोखिमवाले होते हैं और कई स्थिर होते है।
फंड का प्रकार
इक्विटी फंड- अगर आप लंबी अवधी के लिये और उच्च रिटर्न के लिये निवेश कर रहे हैं और आपकी जोखिम लेने की क्षमता भी रखते हैं।
डेब्ट फंड- यदी आप कम जोखिम के साथ साथ नियमित और थोड़ा जादा सुरक्षित निवेश चाहते हैं।
हायब्रिड और बैलेन्स्ड फंड- इसमे एक प्रकार से इक्विटी और बेस्ट दोनों का मिश्रण होता हैं। यह जोखिम और रिटर्न में संतुलन बनाये रखता हैं।
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पिछला प्रदर्शन
वैसे तो इसमें पिछले प्रदर्शन से आगे का भविष्य तय नहीं होता क्योंकी म्युचुअल फंड को चलानेवाला फंड मैनेजर बदल जाता है तो सबकुछ बदल जाता हैं। लेकिन तभी भी आप कम से कम 3-5 साल और फंड की स्थिरता कैसी रही हैं यह जाने।
फंड मैनेजर और ट्रैक रेकॉर्ड
आप जिसमें निवेश की सोच रहे हैं उसका फंड मैनेजर कौन ? उनका अनुभव और उनके द्वारा चलायें जानेवाले फंड के रेकार्ड इंटरनेट के इस्तमाल से आप जान सकते हैं।
अगर फंड मैनेजर का अनुभव अच्छा है तो आपका फंड वितरित परिस्थितियों में भी अच्छा पर्फार्मेंस दिखाता हैं।
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एक्सपेंस रेशों और शुल्क
यह दरअसल फंड के संचालन (Expense Ratio) का शुल्क होता हैं। कम खर्चे वाले फंड का भी रिटर्न पर प्रभाव पड़ता हैं।
पोर्टफोलियो और डायवर्सिटी
अगर आप आपके फंड में स्टाॅक्स, बाॅन्ड्स और अन्य परिसंपत्तियों का मिश्रण होता है अथवा उसमें विविधता होती है तो वह अच्छा माना जाता हैं और आपका जोखिम भी बहुत हद तक कम हो जाता हैं।
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एसेट अंडर मैनेजमेंट (AUM)
AUM (Asset Under Management) से फंड की लोकप्रियता और निवेशकों का उसपर का भरोसा पता चलता हैं। लेकिन बहुत बड़ा AUM भी कभी कभी लचीलापन कम कर देता हैं इसलिए इसमे भी संतुलित चुने।
बेंचमार्क और रेटिंग
आपका चुना जानेवाला फंड किस बेंचमार्क के खिलाफ प्रदर्शन कर रहा हैं उसकी जानकारी ले।
फंड की अलग अलग फायनांस प्लॅटफाॅर्म पर उसकी रेटिंग को जांच लें।
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एक्जिट लोड और लिक्विडिटी
फंड के निकासी शर्तों और एक्जिट लोड को समझें इससे आपको निवेश से बाहर निकलने पर चार्ज नहीं लगेगा अथवा कम लगेगा।
फंड हाऊस की जानकारी
जिस भी फंड हाऊस द्वारा यह फंड चलाया जा रहा है उसकी प्रतिष्ठा और पारदर्शिता जांचना सबसे महत्त्वपूर्ण हैं। फंड की नियमित रिपोर्टिंग, निवेशनिती जैसी महत्वपूर्ण चीजें भी आपको इससे पता चलेगी।
अगर आप ऊपर दी गई सारी जानकारी का पालन करके है तो आप निवेश का उद्देश्य, जौखिम की क्षमता और समय सीमा के अनुरुप सही Mutual Fund चुन सकेंगे और कहेंगे, सच में ‘म्युचवल फंड सही हैं’।
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FAQ
प्रश्न: म्युचुअल फंड के प्रमुख प्रकार कौनसे हैं?
उत्तर- इक्विटी फंड, डेब्ट फंड और हाईब्रिड फंड है प्रमुख तीन प्रकार हैं।
प्रश्न: Mutual Fund के पिछले प्रदर्शन पर ध्यान देना क्यों जरूरी है?
उत्तर- इससे आपको फंड के भविष्य के रिटर्न की गैरेंटी नहीं मिलेगी लेकिन इससे आपको फंड की गुणवत्ता, स्थिरता के बारे में जानकारी मिलेगी।
प्रश्न: Mutual Fund Expense Ratio क्या होता हैं?
उत्तर- यह फंड के प्रबंधन, लेन-देन और अन्य शुल्क के लिये लिया जाता हैं।
प्रश्न: फंड मैनेजर का ट्रैक रेकॉर्ड क्यु जरुरी हैं?
उत्तर- इससे फंड मैनेजर का बाजार बदलाव में हुआ पिछला प्रदर्शन, अनिश्चितता में निर्णय लेने की क्षमता और स्थिरता का थोड़ा बहुत अंदाजा लग जायेगा।
प्रश्न: म्युचुअल फंड में एसआईपी और एसडब्ल्यूपी क्या होता हैं?
उत्तर- यह म्युचुअल फंड में निवेश के तरिके है, SIP में हम निश्चित कालावधी के बाद निश्चित राशी जमा करते जाते हैं और SWP में हम सारी राशी एकबार में निवेश करके थोड़ी थोड़ी राशी प्राप्त कर सकते हैं।
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