SIP vs Lumpsum Investment: दोस्तों आजकल सबसे जादा अगर इन्वेस्टमेंट करने के लिये लोगों किसे पसंद करते होंगे तो वह हैं म्युचुअल फंड। म्युचुअल फंड में निवेश करने के लिये ना शेयर मार्केट का ज्ञान चाहिये ना रोज उठकर उसे ट्रैक करना हैं। सबसे पसंद इसे इसलिये किया जाता है की अन्य निवेश माध्यम से कम रिस्क माना जाता हैं। लेकिन हम म्युचुअल फंड में निवेश करने जाते हैं तो सबसे पहिला सवाल आता है की SIP करनी सही रहेगा या Lumpsum? तो इसका जवाब आपको हम इसमें देने जा रहे है।

अगर आपको SIP और Lumpsum क्या होता है यह भी पता नहीं तो भी घबराने की जरुरत नहीं यह भी आपको इस आर्टिकल में पता लग जायेगा।
एसआईपी और लम्पसमक्या होता हैं?
SIP: यह म्युचुअल फंड का एक ऐसा तरिका का जिसमे हम एक निश्चित राशी और एक निश्चित कालावधी (वीकली, मंथली) के बाद निवेश करते रहते हैं। यह राशी निवेश का काफी छोटा हिस्सा होता है।
Lumpsum: यह म्युचुअल फंड में निवेश का ऐसा तरिका है जिससे हम एक ही बार में सारी राशी किसी म्युचुअल फंड में निवेश कर देते हैं। यह राशी बड़ी हो सकती हैं।
दोनो तरिके के अपने अपने Advantages और Disadvantages हैं यह हम आगे देखेंगे।
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निवेश राशी
Lumpsum: जिसके पास बहुत जादा राशी है और वो निवेश करनी है तो उसके लिये यह बढ़िया रहेगा।
SIP: जिसके पास जादा राशी नहीं है अथवा वह अपनी आई हुई सैलरी से थोडा थोडा निवेश करना चाहता है तो वह एसआईपी कर सकता हैं।
मार्केट की स्थिती
Lumpsum: लम्पसममें निवेश करते समय आपको थोड़ा सोच समझकर निवेश करना होगा क्योंकी आपने मार्केट एकदम ऊपर हैं तभी आपने इसमें Lumpsum Amount Investment किया तो आपको आगे जाकर भारी नुकसान उठाना पड़ सकता हैं।
SIP: इसमें आप लंबे अवधी के लिये थोडा थोडा निवेश करते हैं इसके लिये चढ़ेगा और बढ़ेगा भी तो आपको उतनी चींता नहीं करनी पडती। इसमें अगर मार्केट गिरेगा भी तो भी आपके उतने ही राशी में जादा क्वान्टिटी आप खरिद पायेंगे जो भविष्य में आपको जादा रिटर्न दिखायेगा।
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ध्येय / उद्देश्य
Lumpsum: अगर आपका ध्येय निश्चित है और आपको लंबे अवधी के लिये निवेश करना है तो आपके लिये यह सबसे बढ़िया रहेगा।
SIP: लंबे अवधी तक थोड़ा थोड़ा निवेश करके आपको कंपाउंडिंग बढ़िया करनी है और आपके गोल छोटे भी नहीं और ज्यादा बढ़े भी नहीं है तो यह आपके लिये अच्छा हैं।
फ्लेजिबिलिटी
Lumpsum: इसमें कम फ्लेक्सिबिलिटी होती है। आप पुरी राशी एकबार में ही निवेश करते हो।
SIP: यह Highly Flexible की कैटेगिरी में आता है। आप किसी भी समय और कभी भी इसको बंद कर सकते हो।
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छोटी अथवा बड़ी राशी
Lumpsum: जिसके पास एक बड़ा Corpus हैं, बड़ी राशी है निवेश करने के लिये उनके लिये Lumpsum निवेश सही हैं।
SIP: जिसको कम राशी लेकिन लगातार निवेश जारी रखना है उसके लिये SIP Investment बढ़िया तरिका हैं।
पैरामीटर | एसआईपी | लंपसम |
निवेश तरिका | मासिक/त्रैमासिक | एकमुश्त |
जोखिम | कम जोखिम | जादा जोखिम |
लागत | कम | जादा |
उपयुक्त | छोटे निवेशक, लंबी अवधी | बड़ी राशी, अल्प अवधी |
मार्केट टाईमिंग | आवश्यक | आवश्यक नहीं |
लचीलापन | रोका जा सकता है, बदला जा सकता हैं | कोई बदलाव नही |
न्यूनतम राशी | ₹500 से शुरवात | आमतौर पर ₹5000 से शुरु |
ज्यादा रिटर्न कमाने के टिप्स
Lumpsum:
- इसमें आप मार्केट थोड़ा बहुत नीचे होने के बाद ही पैसा निवेश करें
- अगर आपको ज्यादा रिस्क नहीं चाहिये और अपने निवेश पर चाहे कम रिटर्न मिले तभी भी चल सकता है तो ऐसे में आप Dept Funds चुने
- आप एक ही फंड में अपना सारा पैसा ना गले उसे डायवर्सिफाइड करें और अलग अलग इंडेक्स अथवा सेक्टर में पैसे डाले।
SIP:
- इसमें आप आगे जाकर अपना अमाऊंट को बढ़ाते जा सकते हैं, इसे Step Up SIP भी कहा जाता हैं जो आपके राशी को तैजी से बढ़ाने में मदत करेगा।
- मार्केट गिरने के बाद आपकी एसआईपी बिल्कुल भी बंद ना करें क्योंकी मार्केट गिरने के बाद आपको सस्ते में जादा युनिट जमा कर सकते हैं।
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म्युचुअल फंड निवेश से पहले यह बातें ध्यान रखें
Tax Implications: आपको इक्विटी फंड से मिले हुये रिटर्न को पर Capital Gain Tax देना पड़ता है। SIP और Lump Tax तो बराबर होता है परंतु SIP मे होल्डिंग पिरेड अलग अलग पकड़ा जाता हैं।
Rebalancing: आपको बिच बिच में अपने पोर्टफोलियो को देखते रहना है और मार्केट कंडिशन के हिसाब से थोड़े बहुत बदलाव भी करते रहना है।
Emergency Fund: Lumpsum Mutual Fund Investment से पहले आपको इमरजेंसी फंड भी बाजु में रखना सही रहेगा क्योंकी आपको कब उसकी जरुरत पड़े कह नही सकते। आपको बिच में ही उसके लिये आपकी निवेश राशी निकालनी ना पडे इसका ख्याल रखें।
प्राॅक्टिकल में समझे
नौकरदार: राहुल 26 साल की लड़की जो एक साॅफ्टवेयर इंजिनियर है जो की अपनी सैलरी से हर महिने ₹10,000 रुपये SIP करके लंबे अवधी के बाद फायनाशियल फ्री लाईफ जी सकता हैं।
रिटायर्ड: वर्माजी एक टिचर हैं और उनके पास ₹5,00,000 लाख रुपये हैं तो यह उसे एक बैलेस्ड फंड या एडवांस बैलंस फंड में निवेश करके रिटायरमेंट के बाद एक उसे निकालकर उससे अपना खर्ची चला सकते हैं।
बोनस निवेशक: निशा को सालाना बोनस ₹2,50,000 मिला हैं तो वह इसे मार्केट करेक्शन के बाद इक्विटी फंड में निवेश करती है तो कम समय मे उसकी राशी ग्रोथ करेगी
निष्कर्ष
आप म्युचुअल फंड निवेश के लिये Lumpsum चुनो अथवा SIP यह पुरी तरह आपके फायनाशियल कंडिशन, उद्देश और रिस्क पर अवलंबित हैं।
लंबे अवधी के लिये स्टेबल इनकम और रेगुलर निवेश के लिये एसआईपी सही रहेगा।
जिसके पास बड़ी राशी पड़ी हैं और मार्केट में करेक्शन भी है तो उस स्थिती में आप लम्पसमसे म्युचुअल फंड में निवेश कर सकते हैं।
दोनो में भी निवेश की अच्छाई और बुराईयां है आपके लिये सही कोनसा होगा यह आपके ऊपर हैं।
FAQ
प्रश्न: SIP और लम्प सम निवेश क्या है?
उत्तर- SIP (Systematic Investment Plan) में नियमित अंतराल बाद निश्चित राशी म्युचुअल फंड में निवेश की जाती हैं। Lumpsum में एकबार में ही बड़ी राशी को निवेश किया जाता हैं।
प्रश्न: क्या SIP में छोटी राशि से शुरुआत कर सकते हैं?
उत्तर- जी हा, आप ₹100 अथवा ₹500 से भी SIP निवेश शुरु कर सकते हैं।
प्रश्न: लम्प सम निवेश के लिए न्यूनतम राशि कितनी है?
उत्तर- यह राशी आमतौर पर ₹1,000 से ₹5,000 तक हो सकती है लेकिन यह बिल्कुल आपके फंड हाउस की नियमों पर आधारित होती हैं।
प्रश्न: समय कैसे आपके निवेश को प्रभावित कर सकता हैं?
उत्तर- लमसम के लिये समय का प्रभाव पड़ता है लेकिन SIP के लिये समय का उतना जादा प्रभाव नहीं देखने को मिलता।
प्रश्न: क्या SIP को लम्प सम में बदला जा सकता है?
उत्तर- हां, कहीं सारे फंड आपको एसआईपी से लम्पसममें शिफ्ट करने की सुविधा देते हैं उसके लिये आपको उनके द्वारा दिया जानेवाला फाॅर्म भरना आवश्यक होता हैं।
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