SIF क्या हैं? SIP से यह कैसे अलग हैं? इसके क्या फायदे हैं? | SIF Investment in Hindi

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SIF Investment: जब भी मार्केट गिरता है तो हमारा ध्यान सबसे पहले हमारे पोर्टफोलियो पर जाता हैं। हमारे लिये हुये म्युचुअल फंड्स नीचे जा रहे हैं या ऊपर इसपर हमारा ध्यान सबसे पहले चला जाता हैं। अगर हम देखें पिछले 5-10 साल में म्युचुअल फंड में निवेश करनेवालो की संख्या काफी तेजी से बढ़ी हैं।

SIF Investment in Hindi

इसके लिये सेबी ने नये निवेशकों के लिये एक नये Asset Class को 1 एप्रिल से शुरु करने की अनुमती दे दी है, जिसका नाम हैं एसआईएफ मतलब Specialized Investment Funds (SIF)। 

यह SIF Investment कैसे SIP से अलग है? क्या खास है इसमें? हम इसमें कैसे निवेश कर सकते हैं? चलिये जानते हैं इस आर्टिकल में।

एसआईएफ क्या हैं? (SIF Investment in Hindi)

SIP मतलब Systematic Investment Plan इसमें आप एक थोडे-थोडे समय के बाद निवेश करते हैं और यह राशी फंड मैनेजर आगे निवेश कर देते हैं। जब इन फंड के शेयर की किंमते बढ़ती है तब आपको उसका प्राॅफिट मिलता हैं। 

म्युचुअल फंड की खास बात यह होती है की छोटे से छोटे निवेशक भी इसमें आसानी ने निवेश कर सकते हैं। म्युचुअल फंड निवेश का तरिका उन लोगों के लिये सही माना जाता है जो शेयर मार्केट में निवेश तो करना चाहते हैं लेकिन जादा रिस्क नहीं लेना चाहते। 

SIF (Specialized Investment Funds) यह SIP और Portfolio Management Services के बीच का तरिका आप इसे कह सकते हो। मतलब पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विसेज के लिये आपको 50 लाख तक की राशी आवश्यक होती है वही SIP में ₹100-200 में ही निवेश की शुरवात कर सकते हो।

अब एसआईएफ के इस्तमाल से आप बड़े इन्वेस्टमेंट तरिके का आप भी फायदा उठा सकते हो। 

यह भी पढ़ें: SIP vs SWP Investment

किसके लिये SIF सही?

SIF में आपकी राशी Mutual Fund जैसे ही इस्तमाल किये जायेंगे लेकिन इनमें आपको बाकी के फायदे भी मिल जायेंगे। फिर ये SIF Investment का तरिका किसके लिये योग्य हैं? तो जिनको एक बार निवेश यानी Lumpsum Investment करना है उनके लिये यह तरिका सबसे अच्छा होगा। लेकिन कुछ आपको ध्यान रखना हैं। इसमें ‘बड़ा रिस्क बड़ा रिटर्न’ होता हैं। सबसे महत्त्वपूर्ण बात इसमें कम से कम 10 लाख का निवेश आपको करना होगा।

अगर आपको एसआईपी और लंपसम का फर्क जानना है तो SIP vs Lumpsum यह आर्टिकल जरुर पढें।

कम रिस्क लेनेवाले छोटे निवेशकों दुर रखने के लिये ही SIF Investment राशी की लिमिट तय की गई हैं।

इसके प्रकार (SIF Types)

Mutual fund जैसे ही इसमें भी अलग अलग प्रकार हैं। अपने रिस्क अनुसार निवेशक तय करेगा की कौनसे फंड में निवेश करना हैं।

सेबी की जानकारी अनुसार इसमें नीचे दिये गये प्रकार उपलब्ध हैं।

  • इक्विटी (3 category)
  • डेब्थ (2 Category)
  • हायब्रिड (2 Category)

इसमें आप Derivative Trading भी आप कर सकते हो। 

यह भी पढ़ें: SIP करना सही हैं?

बड़ा रिस्क, बड़ा मुनाफा

इसका मतलब शेयर मार्केट ऊपर जाये या नीचे फंड मैनेजर लाॅग अथवा शाॅर्ट स्टेटर्जी से फंड को निवेश कर सकते हैं। इसलिये शेयर मार्केट ऊपर जाये या नीचे दोनों भी सिच्युएशेन में लाॅग अथवा शाॅर्ट स्टेटर्जी से राशी निवेश कर सकते हैं। इसलिए शेयर मार्केट गिरावट में भी निवेशकों को फायदा होने की प्राॅबेबिलीटी जादा होती हैं। शेयर बाजार की भाषा में लाॅग मतलब आपको लगता है की किसी शेयर के किंमतो में उछाल आनेवाला हैं और शाॅर्ट मतलब शेयर किंमतो में गिरावट हो सकती हैं। दसरसल, म्युचुअल फंड में यह नहीं हो सकता लेकिन SIF में यह हो सकता हैं। 

ऐसे में निवेशकों का रिस्क बढ़ेगा लेकिन रिटर्न के चांसेज भी बढ़ जायेंगे।

एसआईएफ समय अवधी

Mutual fund से पैसे आप अभी भी निकाल सकते हैं लेकिन SIF में ऐसा आप नहीं कर सकते। SIF से पैसे आप कब निकाल सकते हैं यह यह सर्विस देनेवाली फंड मैनेजर तय करना होगी ऐसी सुचना सेबी द्वारा दी गई हैं। 

यह भी पढ़ें: सही म्युचुअल फंड कैसे चुनें?

एसआईएफ रिस्क बैंड (Risk Band)

म्युचुअल फंड के रिस्क को बतानेवाली जैसे Risk Band होती है वैसे ही Specialized Investment Fund में भी 5 रिस्क बैंड बताये गये हैं।

Risk Band 1 मतलब सबसे कम रिस्कवाला फंड वैसे ही Risk Band 5 मतलब सबसे जादा रिस्कवाला फंड माना जायेगा।

नई एसआईएफ योजना लाॅंन्च के वक्त ही यह एसेट मैनेजमेंट कंपनी(AMC) आपको रिस्क बैंड की जानकारी बतायेंगे।

एसआईएफ यह म्युचुअल फंड से पुरी तरह अलग है इसी तरिके से इसकी मार्केटिंग की जाये ऐसा सेबी ने बताया हैं।

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FAQ

प्रश्न: एसआईएफ क्या हैं?

उत्तर- यह निवेश करने की एक नई श्रेणी हैं जिसे सेबी ने शुरु किया हैं। यह म्युचुअल फंड और पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विसेज(PMS) के बीच का विकल्प है। जो निवेशकों को अधिक जोखिम और लचीलापन में मदत करता हैं।

प्रश्न: एसआईएफ में न्यूनतम कितनी राशी निवेश कर सकते हैं?

उत्तर- इसमें आप न्यूनतम 10 लाख रुपये निवेश कर सकते हो।

प्रश्न: एसआईएफ और म्यूचुअल फंड में क्या फर्क हैं?

उत्तर- म्यूचुअल फंड की तुलना में इसमें अधिक लचीलापन मिलता हैं। एसआईएफ खासकर उच्च जोखिम और रिटर्नवाले निवेशकों के लिये बनाया गया हैं। 

प्रश्न: एसआईएफ में निवेश की सीमाएं क्या हैं?

उत्तर- एकल सूचीबद्ध कंपनी में 15%, डेट सिक्युरिटी में 20% (25% तक बोर्ड की मंजुरी तक) और REITs/InvITs में 20% तो तक इसकी सीमा हैं।

प्रश्न: एसआईएफ कब से‌ लागु होगा?

उत्तर- यह 1 एप्रिल 2025 से प्रभावी हो गया हैं।

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